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Showing posts from November, 2019

प्रियंका रेड्डी हत्याकांड, आखिर कब तक जलाई जाती रहेंगी बेटियां....?

साक्षी समाचार में प्रकाशित मेरा आलेख तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में घटित एक और निर्भया कांड पूरे देश की सुर्खियों में है। अभी तक तो निर्भया के दोषियों को ही फांसी की सजा नहीं दी गई है और एक और निर्भया हवस के दरिंदों की दरिंदगी का शिकार हुई है। अब तो यह प्रश्न पूरे देश के समक्ष मुंह बाए खड़ा है कि हम कैसे समाज में जी रहे हैं? जहां बेटियां  कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। एक तरफ हम 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के नारे लगाते हैं, दूसरी तरफ वही बेटियां समाज में सुरक्षित नहीं हैं, जो अपने बलबूते पर कुछ बनकर दिखाती हैं। आखिर हम किस युग में जी रहे हैं? क्या हम सभ्य समाज में जीने लायक माहौल अपनी बहन-बेटियों को दे पाए हैं? ये कुछ ऐसे यक्ष प्रश्न हैं, जो हमारे सामने आज़ भी मुंह बाए खड़े हैं और हम इनका कोई यथोचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। आखिर कब तक जलाई जाती रहेंगी बेटियां राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान राष्ट्रीय महिला आयोग ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के शादनगर में सरकारी पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बाद में हत्या के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया है और पीड़ित परिवार क

प्रदूषण में वृद्धि के लिए सिर्फ सरकार दोषी नहीं, हम सब भी हैं जिम्मेदार

प्रदूषण में वृद्धि के लिए सिर्फ सरकार को दोषी ठहराना उचित नहीं, हम सब भी हैं जिम्मेदार                 बीते कई दिनों से देश की राजधानी दिल्ली के एनसीआर में वायु प्रदूषण बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह से वहां के निवासियों को न केवल सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है बल्कि आंखों में जलन और त्वचा सम्बन्धी अन्य परेशानियां भी हो रही हैं। द्वारका इलाके में हवा की गुणवत्ता का स्तर 900 के पार पहुंच गया है। ऐसे में लोग स्वच्छ हवा में सांस लेने को तरस गए हैं। दिल्ली पूर्ण रूप से गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। हमारे देश में जब भी किसी सार्वजनिक समस्या के बारे में बात होती है तो हम सब उसका पूरा दोष वहां की सरकार पर मढ देते हैं। फिर चाहे वह दिल्ली में प्रदूषण की समस्या हो या जेएनयू में जारी छात्र हड़ताल की। खैर, हम यहां पर दिल्ली में प्रदूषण की बात कर रहे हैं। प्रकृति और पर्यावरण से संबंधित कोई भी समस्या न तो एक दिन में पैदा होती है और न ही एक दिन में उसका समाधान ढूंढा जा सकता है। ये दोनों ही दीर्घकालिक समस्याएं हैं।  जो लोग इसके लिए वर्तमान सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं, वे यह भूल

आज़ का दिन यादगार दिन था

आज़ का दिन मेरे लिए एक यादगार दिन था। आज़ दो बड़े साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों में मेरी सक्रिय सहभागिता रही। पहला था 'साहित्य रत्न' आदरणीय श्री  तेजराज जी जैन की स्मृति में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मेलन। जिसमें हैदराबाद की चार प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं  ने सामूहिक रूप से भाग लिया। सुबह 11 बजे से शुरू हुआ यह कार्यक्रम शाम 6 बजे तक चला इसमें नगर द्वय के सभी साहित्य प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मैंने जैन साहब की पुस्तक- 'प्यार लुटाता चला गया' पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखी। उनके पारिवारिक सदस्यों ने पूर्ण जिम्मेदारी के साथ आयोजक का धर्म निभाया। कार्यक्रम बहुत ही भव्य रूप में सम्पन्न हुआ।                      दूसरा आयोजन था, 'हुनर हाउस' के द्वारा आयोजित ओपन माइक इवेंट- पतंग हैदराबाद 2.0। यह हैदराबाद की युवा पीढ़ी की लेखिकाओं- श्रीया धपोला और रितिका राॅय द्वारा आयोजित कार्यक्रम था, जिसमें सहयोग प्रदान किया था, मंजुला दूसी और पवन कुमार ने। यह इवेंट स्टेट आर्ट गैलरी के 'देजा ब्रू-आर्ट कैफे में आयोजित था। इसमें भाग लेने वाले युवा साथियों का उत्साह देखन

महाराष्ट्र में बीजेपी के सरकार गठन का रास्ता साफ

चौबे जी बनने चले थे छब्बे जी, मगर अफसोस दुबे जी भी ना रहे। महाराष्ट्र में शिवसेना ने कुर्सी के लिए जो ड्रामा इतने दिन तक जारी रखा, आज़ सवेरे-सवेरे उसका पटाक्षेप हो गया। देवेन्द्र फड़नवीस फिर से एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। वैसे भी बीजेपी के पास सबसे ज्यादा सीटें थीं। जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को मिलाकर स्पष्ट बहुमत दिया था, लेकिन शिवसेना की मुख्यमंत्री पद की जिद ने इतना समय बर्बाद कर दिया। आखिरकार राष्ट्रपति शासन हट गया और एक नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया। सस्पेंस, ड्रामा और क्लाइमेक्स एक लम्बे इंतजार और सियासी दलों के नेताओं की शर्तिया बैठकों के दौर के बाद बनने वाली त्रिदलीय सरकार का सपना उस समय अधूरा रह गया, जब सुबह-सुबह बीजेपी के पूर्व सीएम देवेन्द्र फड़नवीस ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की और एनसीपी के अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि एनसीपी के मुखिया शरद पवार का कहना है कि अजीत पवार ने उनसे सलाह लिए बिना बीजेपी के साथ गठबंधन किया है। जहां शुक्रवार की रात तक महाराष्ट्र के इस राजनीतिक रण में बीजेपी का कोई सिपाही तक नज़र नहीं आ रहा था, वहीं शनिवा

राजस्थान की प्राचीन एवं समृद्ध सांस्कृतिक लोककला मांडणा

राजस्थान की प्राचीन एवं समृद्ध सांस्कृतिक लोककला है मांडणा मांडणा चित्रकारी राजस्थान की एक प्राचीन लोककला है। हमारी भारतीय संस्कृति मूल रूप से पर्व प्रधान लोक संस्कृति है। यहां प्रत्येक राज्य की अपनी-अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराएं हैं। हमारी संस्कृति मूलतः ग्राम्य जीवन से जुड़ी हुई है। मांडणा चित्रकारी भी ग्रामीण संस्कृति से जुड़ी हुई है। यह एक प्राचीन लोककला है, जो आज भी ग्रामीण अंचलों में जीवित है और प्रचलन में भी है। भले ही वक्त के साथ उसका स्वरुप थोड़ा परिवर्तित हो गया है लेकिन मूल रूप में वह आज भी ज्यों की त्यों है। प्राचीन काल में गांवों में कच्चे घर और झोपड़ियां होती थी। तीज-त्योहारों और अन्य मांगलिक अवसरों पर उनमें नयापन लाने के लिए और शुद्धिकरण के लिए फर्श और दीवारों को गोबर से लीपा जाता था। फिर उसे सजाने के मकसद से घर की स्त्रियां उन पर विभिन्न प्रकार के मांडणे मांडती थी। ये मांडणे लाल रंग की गेरू या हिरमिच और सफेद खड़िया मिट्टी से बनाए जाते थे। मांडणों का आकार-प्रकार विभिन्न मांगलिक अवसरों पर एवं तीज-त्योहारों पर घर को सजाने के लिए बनाई गई कलात्मक आकृतियों को &

अयोध्या मामले पर एक आलेख

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय  ये जीत है भारतीय संस्कृति की सुप्रीम कोर्ट का सर्वमान्य निर्णय अयोध्या मसले पर आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि आज़ भी हमारे देश के प्रत्येक नागरिक की संविधान और देश की न्यायिक व्यवस्था में उतनी ही आस्था है, जितनी पहले थी। हां, कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों और धर्म निरपेक्ष लोगों को इस निर्णय से परेशानी हो सकती है। परन्तु एक लम्बे समय से चले आ रहे विवाद के शांतिपूर्ण तरीके से निकाले गए समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश माननीय रंजन गोगोई जी एवं उनकी पीठ के अन्य सदस्य न्यायाधीश निश्चित रूप से साधुवाद के पात्र हैं।              ऐसा पहली बार हुआ है कि एक इतने विवादित केस में पांच सदस्यों की पीठ ने सर्वसम्मति से एक निर्णय दिया है। लगभग 45 मिनट तक मुख्य न्यायाधीश ने 1045 पेज का जो अपना फैसला सुनाया, वह एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया। आज़ का दिन हिन्दुस्तान के इतिहास में सदैव याद किया जाएगा, न केवल इस असाधारण फैसले के लिए बल्कि हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए, हमारी विविधता में एकता के लिए, सांप्रदायिक सौहा
कुर्सी  के लिए खत्म हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के लिए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की सभी कोशिशें विफल हो गईं, इसलिए उन्होंने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी, जिसे कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी और इसके बाद राष्ट्रपति ने भी इस पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी। इससे नाराज़ शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। क्या है सम्पूर्ण घटनाक्रम महाराष्ट्र में आम चुनाव सम्पन्न होने के 18 दिन बाद भी जब कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सका तो राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को, फिर शिवसेना को और अंत में राकांपा को सरकार गठन के लिए अपना संख्या बल बताने को कहा था। जब इन तीनों में से कोई भी अपना बहुमत सिद्ध नहीं कर पाया तो राज्यपाल ने केन्द्र सरकार से कहा कि कोई भी दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प बचा है। फैसले का विरोध राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद राकांपा और कांग्रेस ने बैठक की और कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना लोकतंत्र का म
'गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेंगे तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा।' इस सिद्धांत को अपने जीवन में शत-प्रतिशत जीने वाले डॉ.अच्युत सामंत आज़ के केबीसी एपिसोड में कर्मवीर के रूप में सम्मिलित हुए। बेहद कठिन परिस्थितियों में ग़रीबी और भुखमरी से संघर्ष करते हुए आज उन्होंने KISS and KIIT जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना की है। उनमें 60000 गरीब आदिवासी बच्चों को वे निशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। धन्य हैं ऐसे कर्मवीर जिन्होंने इतनी अभावग्रस्त ज़िन्दगी जीकर आदिवासी बच्चों के कल्याण हेतु ऐसी संस्थाओं की स्थापना की। दु:ख होता है ये जानकर कि सरकारें इनकी संस्था में वित्तीय जांच के लिए तो पहुंच जाती हैं लेकिन अपनी तरफ से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं करतीं। जो असली 'भारत रत्न' हैं, उन्हें भारत रत्न तो क्या, पद्मश्री और पद्मभूषण अवॉर्ड से भी नहीं नवाजा जाता। विदेशी विश्वविद्यालयों से प्राप्त श्री सामंत के अवाॅर्ड इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि हम अपने असली समाजसेवकों और भविष्य निर्माताओं की कितनी कद्र करते हैं। सलाम है ऐसे कर्मवीर को और ईश्वर से ये प्रार्थना भी कि वे उ
महाकवि निराला रचित सरस्वती वंदना वर दे! वीणावादिनी वर दे! प्रिय स्वतंत्र रव अमृत मंत्र नव भारत में भर दे, भर दे। वर दे। काट अंध उर के बंधन स्तर बहा जननी ज्योतिर्मय निर्झर कलुष भेद तम हर, प्रकाश भर जगमग जग कर दे, कर दे। वर दे। नवगति, नवलय ताल छंद नव नवल कंठ नव जलद मंद्र रव नव नभ के नव विहग वृंद को नभ पर नव स्वर दे, स्वर दे। वर दे। वीणावादिनी वर दे, वर दे!!

नमस्कार महामंत्र

अर्हम् णमो अरहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं। एसो पंच णमुक्कारो सव्वप्पावपणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं, पढ़मं हवई मंगलं।