प्रियंका रेड्डी हत्याकांड, आखिर कब तक जलाई जाती रहेंगी बेटियां....?



साक्षी समाचार में प्रकाशित मेरा आलेख
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में घटित एक और निर्भया कांड पूरे देश की सुर्खियों में है। अभी तक तो निर्भया के दोषियों को ही फांसी की सजा नहीं दी गई है और एक और निर्भया हवस के दरिंदों की दरिंदगी का शिकार हुई है। अब तो यह प्रश्न पूरे देश के समक्ष मुंह बाए खड़ा है कि हम कैसे समाज में जी रहे हैं? जहां बेटियां  कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। एक तरफ हम 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' के नारे लगाते हैं, दूसरी तरफ वही बेटियां समाज में सुरक्षित नहीं हैं, जो अपने बलबूते पर कुछ बनकर दिखाती हैं। आखिर हम किस युग में जी रहे हैं? क्या हम सभ्य समाज में जीने लायक माहौल अपनी बहन-बेटियों को दे पाए हैं? ये कुछ ऐसे यक्ष प्रश्न हैं, जो हमारे सामने आज़ भी मुंह बाए खड़े हैं और हम इनका कोई यथोचित उत्तर नहीं दे पा रहे हैं।

आखिर कब तक जलाई जाती रहेंगी बेटियां
राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान
राष्ट्रीय महिला आयोग ने तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के शादनगर में सरकारी पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म और बाद में हत्या के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया है और पीड़ित परिवार की सहायता के लिए एनडब्ल्यूसी की टीम  को हैदराबाद भेजा है। इधर हैदराबाद पुलिस ने भी इस जघन्य कांड के चारों आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है।
हिरासत में लिए गए चार लोगों में एक ट्रक ड्राइवर और क्लीनर तथा दो अन्य शामिल हैं, ये सभी नारायणपेठ जिले के मक़तल मंडल के निवासी हैं। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखकर और चश्मदीद गवाहों की मदद से इस जघन्य कांड पर से पर्दा उठाया है। पुलिस का कहना है कि इन चारों ने मिलकर पहले चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार किया और बाद में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और फिर शव को जला दिया।

सोची-समझी साजिश थी ये
हत्या के आरोपियों से पूछताछ में यह बात पता चली है कि उन्होंने पीड़िता को उसका टू व्हीलर शमशाबाद के तोंदुपल्ली टोलगेट पर खड़ा करते हुए देखा था। उसी समय उन्होंने यह योजना बनाई और जान-बूझकर उसकी स्कूटी के पिछले टायर की हवा निकाल दी। पुलिस के मुताबिक उस समय सभी आरोपी नशे में चूर थे। 
पुलिस का ये बयान कई सवाल खड़े करता है-
1- पहला तो ये कि शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को टोलगेट पर आने से पहले पुलिस ने पकड़ा क्यों नहीं?
2- जब हैदराबाद पुलिस हर तरह की टैक्नोलॉजी से लैस है तो ऐन उसकी नाक के नीचे अपराधी अपराध को कैसे अंजाम देते हैं?
3- पीड़िता के घरवालों की शिकायत के बाद भी पुलिस ने रात को उसे ढ़ूंढ़ा क्यों नहीं? 
4- तेलंगाना के गृहमंत्री का ये बयान कि पीड़िता ने बहन की बजाय पुलिस को फोन किया होता तो तीन मिनट में पुलिस पहुंच जाती, कितना सच है? जो पुलिस शिकायत करने के बाद कुछ नहीं करती, वह सहायता के लिए पहुंच जाती कहना हास्यास्पद तो है ही, साथ ही मंत्री जी की नीति और नीयत दोनों पर सवाल खड़े करती है।
5- जब पीड़िता की स्कूटी जान-बूझकर पंक्चर की गई तो उनको किसी ने तो देखा होगा, फिर किसी को बताया क्यों नहीं? अगर आप जान-बूझकर अनजान बने रहते हैं तो हो सकता है कि अगला नंबर आपकी बहन या बेटी का हो।
6- टोलगेट पर कार्यरत कर्मचारियों ने पीड़िता की सहायता क्यों नहीं की? 
7- पीड़िता की हत्या के विरोध में सामने आई लड़की को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यहां पर पुलिस बड़ी मुस्तैदी से ड्यूटी करती है तो आवश्यकता पड़ने पर वह ऐसे संवेदनशील स्थानों पर क्यों नहीं पहुंचती या फिर वहां पर मौजूद क्यों नहीं रहती? 
8- जिस राज्य में हर तीसरी-चौथी दूकान शराब की हो, महिलाओं के विरोध के बावजूद रिहायशी इलाकों में नित नई शराब की दुकानें खुलती हो, वहां महिलाएं कैसे सुरक्षित रह सकती हैं?
9- जहां पर अपराधियों को सजा देने की बजाय तुष्टिकरण की राजनीति की जाती हो और न्याय मांगने वाले का मुंह बंद कर उसे गिरफ्तार किया जाता हो, वहां न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ नहीं तो और क्या है? 
अगर इन सब बातों पर गौर किया जाए तो हम पाएंगे कि तेलंगाना राज्य 18 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक की आयु की महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में होने वाले दुष्कर्म के मामलों में इस आयु वर्ग की पीड़ित महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा तेलंगाना में है।
राजनीतिक संरक्षण
इन सब बातों पर गौर करने से एक बात जो सामने निकल कर आती है, वो ये कि जब तक इन अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहेगा, इनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ये बेखौफ होकर ऐसी वारदातों को अंजाम देते रहेंगे। इन घटनाओं की रोकथाम तभी संभव है, जब इन अपराधियों को तुरंत सरेआम फांसी पर लटकाया जाए और अगर कोई इनकी पैरवी करता है और मानवाधिकारों की दुहाई देता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। क्योंकि अब समय आ गया है, जब केवल न्याय की गुहार लगाने से और मोमबत्तियां जलाकर मौन रहने से कुछ होने वाला नहीं है, अब तो तुरंत ठोस कार्रवाई होनी चाहिए।
- सरिता सुराणा
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका
हैदराबाद
30.11.19

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