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Showing posts from June, 2020

सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का शानदार आयोजन

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सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन Share Facebook Twitter WhatsApp हमारे WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे Thar portal 12 थार एक्सप्रेस ग्रुप में जुड़ें ताजा समाचार आपको मिलेंगे लिंक पर क्लिक करें। Thar portal 14 थार एक्सप्रेस में न्यूज़ भेजने के लिए इस ग्रुप में जुड़ें। प्रामाणिक घटना की जानकारी भेज सकते हैं. हैदराबाद।  ’’सूत्रधार’’ साहित्यिक संस्था की ओर से द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव के कारण हम अभी भी घरों में बंद हैं और समूह में एकत्रित होकर कोई सामूहिक गतिविधि नहीं कर सकते। इसलिए अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए संस्था की ओर से ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य है, नवोदित रचनाकारों को एक मंच प्रदान करना, जिससे वे अपनी रचनात्मक प्रतिभा को और अधिक निखार सकें। काव्य गोष्ठी का प्रारम्भ सरस्वती वंदना से किया गया। तत्पश्चात संस्थापिका ने सभी आगंतुक लेखकों और साहित्यकारों का स्वागत किया

सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का शानदार आयोजन

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शब्द प्रवाह ALL लॉकडाउन से सीख कविता लेख गीत/गजल समाचार कहानी/लघुकथा समीक्षा/पुस्तक चर्चा दोहा/छंद/हायकु व्यंग्य विडियो सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन June 28, 2020 • सरिता सुराणा • समाचार   'सूत्रधार' साहित्यिक संस्था की ओर से शनिवार को द्वितीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। आज जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव के कारण हम अभी भी घरों में बंद हैं और समूह में एकत्रित होकर कोई सामूहिक गतिविधि नहीं कर सकते। इसलिए अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए संस्था की ओर से ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।  इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य है, नवोदित रचनाकारों को एक मंच प्रदान करना, जिससे वे अपनी रचनात्मक प्रतिभा को और अधिक निखार सकें। काव्य गोष्ठी का प्रारम्भ सरस्वती वंदना से किया गया। तत्पश्चात संस्थापिका ने सभी आगंतुक लेखकों और साहित्यकारों का स्वागत किया। कोलकाता के प्रसिद्ध विद्वान और हिन्दी साहित्यकार आदरणीय सुरेश जी चौधरी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की।  गोष्

सूत्रधार साहित्यिक संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/6PHdAVrE-qM

हरीश सिंगला का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/P33XmNufDWg

शिल्पी भटनागर का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/Yke31kJXExI

रितिका राय का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/bbh9TqHL9ck

आर्या झा का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/Voq3AjBe4-Y

मंजुला दूसी का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/XkJ0TB_1kr8

श्रीया धपोला का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/XSi-KkBrfog

प्रदीप देवीशरण भट्ट का काव्य पाठ वीडियो

https://youtu.be/rgqCNKnZqx0

श्रीमती ज्योति नारायण का काव्य पाठ

https://youtu.be/RSvTOiVvZXs

सुहास जी भटनागर का अध्यक्षीय काव्य पाठ

https://youtu.be/eSkAhosMhwQ

डा.सुमन लता जी का काव्य पाठ

 https://youtu.be/eQ0Fg7AXtD0

सूत्रधार साहित्यिक संस्था द्वारा आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का पहला यूट्यूब वीडियो लाॅञ्च

https://youtu.be/b3eMtAFlEPA

भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व'विषयक आॅनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

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मनोरंजन खेल व्यापार गैलरी वीडियो ट्रेंडिंग ऑडियो 'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व' विषयक नेशनल सेमिनार आयोजित 12 Jun, 2020 20:38 IST | Sakshi संगोष्ठी में भाग लेती हुई सरिता सुराणा और अन्य 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' योजना के अंतर्गत 'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व' बैठे-बैठे ही उन्हें सम्पूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक विविधता के दर्शन करवा दिए हैदराबाद :  सरकारी महिला महाविद्यालय, बेगमपेट, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना और सरकारी महाविद्यालय, करनाल, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' योजना के अंतर्गत 'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व' विषय पर एक दिवसीय नेशनल सेमिनार (वेबिनार) का बुधवार को ऑनलाइन आयोजन किया गया। डॉ जी यादगिरी, ज्वाइंट डायरेक्टर कॉलेजिएट एजुकेशन एंड प्रिंसिपल, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना ने इस सेमिनार की अध्यक्षता की। डॉ डब्ल्यूजी प्रसन्न कुमार, चेयरमैन ऑफ महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल ऑफ रुरल एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया इस कार्यक्रम

भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व'विषयक आॅनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

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‘भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व’ विषयक नेशनल सेमिनार आयोजित Devendra Soni   June 11, 2020 ‘भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व’ विषयक नेशनल सेमिनार आयोजित भारतीय संस्कृति भारत की आत्मा है: प्रो.प्रदीप कुमार हैदराबाद। सरकारी महिला महाविद्यालय, बेगमपेट, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना और सरकारी महाविद्यालय, करनाल, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ योजना के अंतर्गत ‘भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व’ विषय पर एक दिवसीय नेशनल सेमिनार (वेबिनार) का बुधवार को ऑनलाइन आयोजन किया गया। डा. जी.यादगिरी, ज्वाइंट डायरेक्टर काॅलेजिएट एजुकेशन एंड प्रिंसिपल, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना ने इस सेमिनार की अध्यक्षता की। डॉ.डब्ल्यू.जी.प्रसन्न कुमार, चेयरमैन ऑफ महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल ऑफ रुरल एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। प्रसिद्ध नाटककार प्रो.प्रदीप कुमार प्रो.ऑफ थियेटर आर्ट्स, उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद और डायरेक्टर, रिसर्च फाउंडेशन फॉर कल्चरल स्टडीज इस कार्यक्रम के विशि

'जैन जीवन शैली अपनाएं, कोरोना को दूर भगाएं

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हैदराबाद से पत्रकार सरिता सुराणा का लेख-जैन जीवन शैली अपनाएं, कोरोना को भगाएं Devendra Soni   June 10, 2020 जैन जीवन शैली अपनाएं, कोरोना को भगाएं जैन धर्म त्याग प्रधान धर्म है। इसमें संयम, तप और साधना पर विशेष बल दिया गया है। यह केवल साधु-संतों के लिए नियम पालन की बात नहीं करता अपितु इसमें श्रावक-श्राविकाओं के लिए भी व्रतों का पालन करना उतना ही जरूरी है। अगर साधु-साध्वियों के लिए पांच महाव्रतों का पालन अनिवार्य है तो आम नागरिकों के लिए अणुव्रतों का विधान है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य इन पांच महाव्रतों का पालन एक गृहस्थ व्यक्ति अणुव्रतों के रूप में कर सकता है। आज से शताब्दियों पूर्व भगवान महावीर ने आगार धर्म और अणगार धर्म का प्रतिपादन किया था। यही आगार धर्म गृहस्थ व्यक्तियों के लिए था। तब से लेकर अब तक प्रत्येक जैन धर्मावलंबी इनका अपने व्यावहारिक जीवन में प्रयोग करके जीवदया को बढ़ावा देते हैं। आज जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है, चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है, तब हम कुछ साधारण बातों का ध्यान रखकर इससे बच सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है वे सावधानियां

विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता

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विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता और इतिहास 5 Jun, 2020 20:00 IST | Sakshi कांसेप्ट फोटो स्टॉकहोम में पहला अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं हैं 5 जून को प्रतिवर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसको मनाए जाने के पीछे उद्देश्य यह है कि पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाई जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सन 1972 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इसको हम प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने का दिन कह सकते हैं। मनुष्य भी तो इसी पर्यावरण में सांस लेता है, जीता है। प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं, प्रकृति और मनुष्य का साथ चोली-दामन का साथ है। यह खास दिन मनुष्य जाति के अस्तित्व से जुड़ा है। दरअसल सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण और प्रदूषण पर स्टॉकहोम (स्वीडन) में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें तकरीबन 119 देशों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद 5 जून को इसे नियमित रूप से मनाया जाने लगा। आओ पेड़ लगाएं, धरती पर हरियाली बढ़ाएं हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दुनिया भर मे

सूत्रधार साहित्यिक मंच हैदराबाद द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन

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ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन-'मुश्किलें आती रहेंगी, जब तक जीवन है यह' Share Facebook Twitter WhatsApp हमारे WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे Thar portal 8 थार एक्सप्रेस ग्रुप में जुड़ें ताजा समाचार आपको मिलेंगे लिंक पर क्लिक करें। Thar portal 25 थार एक्सप्रेस में न्यूज़ भेजने के लिए इस ग्रुप में जुड़ें। प्रामाणिक घटना की जानकारी भेज सकते हैं.  सूत्रधार' साहित्यिक मंच, हैदराबाद द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन मुश्किलें आती रहेंगी, जब तक जीवन है यह'   हैदराबाद। 3 जून। 'सूत्रधार' साहित्यिक मंच द्वारा रविवार,  को एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। आज जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 'सूत्रधार' संस्था की संस्थापिका सरिता सुराणा ने बताया कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए चल रहे लाॅकडाउन की वजह से कवि और कवयित्रियां एक-दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में बंद थे। ऐसे में उनके पास एक ही तरीका था आपस में बातचीत करने का और वो था ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की जाए। इस संस्था के गठन का उद्देश्य भी यही