भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व'विषयक आॅनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित


'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व' विषयक नेशनल सेमिनार आयोजित

12 Jun, 2020 20:38 IST|Sakshi
संगोष्ठी में भाग लेती हुई सरिता सुराणा और अन्य

'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' योजना के अंतर्गत 'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व'

बैठे-बैठे ही उन्हें सम्पूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक विविधता के दर्शन करवा दिए

हैदराबाद : सरकारी महिला महाविद्यालय, बेगमपेट, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना और सरकारी महाविद्यालय, करनाल, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' योजना के अंतर्गत 'भारतीय संस्कृति और आदिवासी साहित्य का महत्व' विषय पर एक दिवसीय नेशनल सेमिनार (वेबिनार) का बुधवार को ऑनलाइन आयोजन किया गया। डॉ जी यादगिरी, ज्वाइंट डायरेक्टर कॉलेजिएट एजुकेशन एंड प्रिंसिपल, गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना ने इस सेमिनार की अध्यक्षता की।

डॉ डब्ल्यूजी प्रसन्न कुमार, चेयरमैन ऑफ महात्मा गांधी नेशनल काउंसिल ऑफ रुरल एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। प्रसिद्ध नाटककार प्रो.प्रदीप कुमार प्रो.ऑफ थियेटर आर्ट्स, उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद और डायरेक्टर, रिसर्च फाउंडेशन फॉर कल्चरल स्टडीज इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता थे। श्री कृष्णा श्री की गणेश वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के को-ऑर्डिनेटर प्रो.वेंकटेश्वरलू ने पधारे हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया।

डॉ यादगिरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि काकतिया वंश से लेकर निज़ाम के शासन काल तक दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा रही है। हमारे देश में हर जगह अनेकता में एकता दिखाई देती है। मुख्य अतिथि डॉ प्रसन्न कुमार ने कहा कि सभी विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों को इस समय स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना होगा। छात्र-छात्राओं को एनएसएस, एनसीसी ईबीएसबी कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।

तेलंगाना राज्य का लोक नृत्य

मुख्य वक्ता प्रो प्रदीप कुमार ने भारतीय संस्कृति और आदिवासी लोक साहित्य पर लगभग एक घंटे तक प्रभावशाली व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति हमारे देश की आत्मा है और लोक साहित्य हमारी धरोहर है। लोक साहित्य लिखित रूप में नहीं मिलता, यह मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है। उन्होंने अपने वक्तव्य के साथ पीपीटी के माध्यम से देश के प्रमुख राज्यों के लोक नृत्यों की छवि दिखाकर उनके बारे में समझाया। हरियाणा राज्य से लगभग 30 प्रतिभागियों ने इस सेमिनार में भाग लिया। सभी ने प्रो प्रदीप कुमार के वक्तव्य और प्रस्तुतिकरण की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उन्हें हरियाणा आने का निमंत्रण भी दिया।

तेलंगाना का लोक नृत्य

सेवानिवृत्त प्रिंसिपल प्रो.धारेश्वरी ने इंडियन हेरिटेज पर प्रकाश डाला। डॉ एचकेवंदना, हिन्दी विभागाध्यक्ष विवेकानन्द गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज ने भारतीय संस्कृति के विविध आयामों के बारे में बताते हुए कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारे देश का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शनीय है। माउंट आबू की वादियों में बहने वाली स्वच्छ हवा में सांस लेने से हमें असीम आनन्द की अनुभूति होती है।

महाराष्ट्र का लावणी नृत्य

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका सरिता सुराणा ने बीज व्याख्यानकर्ता प्रो प्रदीप कुमार के वक्तव्य की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने वहां पर बैठे-बैठे ही उन्हें सम्पूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक विविधता के दर्शन करवा दिए। सभी वक्ताओं के वक्तव्य बहुत सारगर्भित थे।

तेलंगाना राज्य का लोक नृत्य

इस सेमिनार में लगभग 95 प्रतिभागियों ने भाग लिया और सभी ने इसके आयोजन के लिए आयोजनकर्ता को बधाई दी। इस कार्यक्रम का संचालन ईबीएसबी के को-ऑर्डिनेटर प्रो.वेंकटेश्वर्लू ने किया। इस सेमिनार में पीजी कॉलेज सिकंदराबाद की डॉ.संगीता, बेगमपेट डिग्री कॉलेज की डॉ.सरिता जाधव के साथ पल्लवी, लता, भवानी, माधुरी दीक्षित, डॉ.सत्यनारायण और कई अन्य वक्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम पूर्णतः सफल रहा और सभी ने ऐसे आयोजनों को समय-समय पर करते रहने की इच्छा जताई। डॉ.वेंकटेश्वर्लू के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

- सरिता सुराणा, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार, हैदराबाद

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