'गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेंगे
तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा।'
इस सिद्धांत को अपने जीवन में शत-प्रतिशत जीने वाले डॉ.अच्युत सामंत आज़ के केबीसी एपिसोड में कर्मवीर के रूप में सम्मिलित हुए। बेहद कठिन परिस्थितियों में ग़रीबी और भुखमरी से संघर्ष करते हुए आज उन्होंने KISS and KIIT जैसे विश्वविद्यालयों की स्थापना की है। उनमें 60000 गरीब आदिवासी बच्चों को वे निशुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। धन्य हैं ऐसे कर्मवीर जिन्होंने इतनी अभावग्रस्त ज़िन्दगी जीकर आदिवासी बच्चों के कल्याण हेतु ऐसी संस्थाओं की स्थापना की।
दु:ख होता है ये जानकर कि सरकारें इनकी संस्था में वित्तीय जांच के लिए तो पहुंच जाती हैं लेकिन अपनी तरफ से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं करतीं। जो असली 'भारत रत्न' हैं, उन्हें भारत रत्न तो क्या, पद्मश्री और पद्मभूषण अवॉर्ड से भी नहीं नवाजा जाता। विदेशी विश्वविद्यालयों से प्राप्त श्री सामंत के अवाॅर्ड इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं कि हम अपने असली समाजसेवकों और भविष्य निर्माताओं की कितनी कद्र करते हैं। सलाम है ऐसे कर्मवीर को और ईश्वर से ये प्रार्थना भी कि वे उन्हें स्वस्थ रखें और दीर्घायु प्रदान करें, ताकि वे अपने सम्पूर्ण सपनों को साकार कर सकें।
- सरिता सुराणा
15-11-2019

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