आज़ का दिन यादगार दिन था

आज़ का दिन मेरे लिए एक यादगार दिन था। आज़ दो बड़े साहित्यिक और सांस्कृतिक आयोजनों में मेरी सक्रिय सहभागिता रही। पहला था 'साहित्य रत्न' आदरणीय श्री  तेजराज जी जैन की स्मृति में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मेलन। जिसमें हैदराबाद की चार प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं  ने सामूहिक रूप से भाग लिया। सुबह 11 बजे से शुरू हुआ यह कार्यक्रम शाम 6 बजे तक चला इसमें नगर द्वय के सभी साहित्य प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मैंने जैन साहब की पुस्तक- 'प्यार लुटाता चला गया' पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखी। उनके पारिवारिक सदस्यों ने पूर्ण जिम्मेदारी के साथ आयोजक का धर्म निभाया। कार्यक्रम बहुत ही भव्य रूप में सम्पन्न हुआ।
                     दूसरा आयोजन था, 'हुनर हाउस' के द्वारा आयोजित ओपन माइक इवेंट- पतंग हैदराबाद 2.0। यह हैदराबाद की युवा पीढ़ी की लेखिकाओं- श्रीया धपोला और रितिका राॅय द्वारा आयोजित कार्यक्रम था, जिसमें सहयोग प्रदान किया था, मंजुला दूसी और पवन कुमार ने। यह इवेंट स्टेट आर्ट गैलरी के 'देजा ब्रू-आर्ट कैफे में आयोजित था। इसमें भाग लेने वाले युवा साथियों का उत्साह देखने लायक था। सभी एक नई ऊर्जा से भरपूर थे। किसी ने स्टोरी सुनाई तो किसी ने ग़ज़ल, किसी ने कविता तो किसी ने गीत। साथ ही लाफ्टर शो और मिमिक्री भी देखने को मिले। सभी तरह की विधाओं से सुसज्जित और तीनों भाषाओं- हिन्दी, अंग्रेजी और तेलुगु में सभी सहभागियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। उन सबको देखकर-सुनकर ऐसा लगा कि भारत का हुनर, भारत की कलाएं और साहित्य सब कुछ सुरक्षित हाथों में है। इस नए भारत को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
- सरिता सुराणा

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