गणतंत्र दिवस का इतिहास, 71वें गणतंत्र दिवस पर एक आलेख

सेना की परेड (फाइल फोटो)। इनसेट में लेखिका सरिता सुराणा
दिवस विशेष : गणतंत्र दिवस की पूरी कहानी, सरिता सुराणा की कलम से
71वें गणतंत्र दिवस पर विशेष
'देश की आन है तिरंगा
मान है गंगा
निशान चक्र है
कमल पुष्प है.....'
मुझे आज भी वो गीत याद है, जो हम गणतंत्र दिवस पर गाया करते थे। स्कूल में बहुत दिन पहले ही परेड, पीटी, लेजिम और डंबल की प्रैक्टिस शुरू हो जाती थी। मन में एक नई उमंग, नया उत्साह रहता था राष्ट्रीय त्यौहारों को मनाने का लेकिन आज़ जब देखती हूं कि स्कूलों में ये राष्ट्रीय त्यौंहार मनाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है तो बहुत दुःख होता है। आज़ गली-गली, नुक्कड़-नुक्कड़ पर कुकुरमुत्तों की तरह उग आए कान्वेंट स्कूलों ने इस परम्परा को लगभग समाप्त ही कर दिया है। इनमें गणतंत्र दिवस के नाम पर ले-देकर कुछ बच्चों को बुलाकर प्रिंसिपल झंडा फहराने का कोरम पूरा करके उन्हें घर भेज देते हैं। वहां पर न तो कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है और न ही बच्चों को गणतंत्र दिवस के बारे में कोई जानकारी दी जाती है।
हां, हिन्दी मीडियम स्कूल आज़ भी पूरी रिवायत के साथ इन त्यौंहारों को मनाते हैं। वहां ध्वजारोहण के लिए किसी नेता, समाजसेवी या फिर किसी बड़े उद्योगपति को बुलाया जाता है। ध्वजारोहण के पश्चात वे बच्चों को संबोधित करते हैं और बच्चे परेड के द्वारा उन्हें सलामी देते हैं। तत्पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है और मुख्य अतिथि द्वारा बच्चों में मिठाई और फल आदि वितरित किए जाते हैं। यहां पर इन सब बातों का उल्लेख करना इसलिए प्रासंगिक हो गया है कि धीरे-धीरे हमारे राष्ट्रीय त्यौंहारों की स्वीकार्यता कम होती जा रही है और इस वजह से स्कूली बच्चों में उनके प्रति न तो वो उत्साह है और न ही उन्हें इस बात का ज्ञान कि किस तरह से हमें आजादी मिली, कैसे हमारे संविधान का निर्माण हुआ और हम गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं? तो आइए जानते हैं अपने गणतंत्र दिवस के बारे में-

कब मनाया जाता है
हमारे देश में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष हम अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। दरअसल 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, उसी के उपलक्ष्य में हर वर्ष इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब हमारा देश आजाद हुआ तो उसे एक सम्प्रभु राष्ट्र बनाने के लिए संविधान की आवश्यकता थी। उसके लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया, जिसके अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर थे। उनके साथ जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इसके सदस्य थे।

26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस
भारत देश को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। इसके पीछे कारण ये था कि वर्ष 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनिक रिपब्लिक का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा। लेकिन 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तो कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। उस दिन से 1947 तक स्वतंत्रता प्राप्त होने तक इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जब संविधान सभा का गठन किया गया और संविधान बनकर तैयार हो गया तो इस दिन को यादगार बनाने के लिए संविधान को इसी दिन लागू किया गया।

संविधान सभा और निर्माण की प्रक्रिया
15 अगस्त 1947 को जब हमारा देश आजाद हुआ तो हमारे नीति निर्माताओं को एक संविधान की आवश्यकता महसूस हुई, जिसके अनुसार हमारा देश सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन सके। इसके लिए प्रक्रिया आजादी से पहले ही शुरू हो चुकी थी। कैबिनेट मिशन की संस्तुति के आधार पर जुलाई 1946 ई. में एक संविधान सभा का गठन किया गया था, इसके सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने। आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया-
* इसके सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रान्तों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे।
* मिशन योजना के अनुसार जब जुलाई 1946 में संविधान सभा का चुनाव हुआ तो कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए ही चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान और 15 अन्य दलों के एवं स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए।
* 9 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित काउंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई। सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया, मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए बिलकुल अलग संविधान सभा की मांग प्रारम्भ कर दी।
* हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थे।
* प्रांतों या देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था। साधारणतः 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आवंटन किया गया था।
*प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था, ये समुदाय थे- मुस्लिम, सिख एवं साधारण।
* संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया- 213 सामान्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख।
* संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी।
* संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 12 थी।
* 11 दिसंबर, 1946 ई. को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
* संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसंबर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किए गए उद्देश्य प्रस्ताव के साथ प्रारम्भ हुई।
* 22 जनवरी, 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां गठित की। इनमें प्रमुख थी- वार्ता समिति, संघ संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति, प्रारूप समिति आदि।
* बी एन राव द्वारा किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया। प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार थी-

i. डॉ भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)
ii. एन गोपाल स्वामी आयंगर
iii. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
iv. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
v. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
vi. एन माधव राव (बीएल मित्र के स्थान पर)

vii. डी. पी. खेतान (1948 ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्माचारी को सदस्य बनाया गया)। संविधान सभा में अम्बेडकर का निर्वाचन पश्चिम बंगाल से हुआ था।
* 3 जून, 1947 ई. की योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 नियत की गई, जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिए और 89 स्थान देसी राज्यों के लिए थे।

* देश-विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया और 31 दिसंबर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थी, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी।
* प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
* संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर, 1948 ई. तक चला। संविधान पर दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 ई० को प्रारम्भ हुआ, जो 17 अक्टूबर, 1949 ई० तक चला। संविधान सभा में संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 ई० को प्रारम्भ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई० तक चला और तब संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
* संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए।
* संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई। संविधान को जब 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 465 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।
* संविधान के कुछ अनुच्छेदों में से 15 अर्थात 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391, 392 तथा 393 अनुच्छेदों को 26 नवंबर, 1949 ई० को ही परिवर्तित कर दिया गया; जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी, 1950 ई० को लागू किया गया।
* संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई० को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
* कैबिनेट मिशन के सदस्य सर स्टेफोर्ड क्रिप्स, लार्ड पेंथिक लारेंस तथा ए बी एलेक्ज़ेंडर थे।
* 26 जनवरी 1950 ई. को 10:18 मिनट पर संविधान को लागू किया गया था।
* भारतीय संविधान की हाथ से लिखी हुई मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं।
* गणतंत्र दिवस की पहली परेड 26 जनवरी 1950 को राजपथ के बजाय तत्कालीन इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। उस समय इरविन स्टेडियम के चारों तरफ चारदीवारी नहीं थी और उसके पीछे लाल किला साफ नजर आता था।
* वर्तमान में राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड आठ किलोमीटर लम्बी होती है। इसकी शुरुआत रायसीना हिल्स से होती है, उसके बाद ये राजपथ व इंडिया गेट से होते हुए लाल किले पर समाप्त होती है।
* इस परेड की सलामी भारत के राष्ट्रपति लेते हैं। राष्ट्र गान के दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है। इसकी शुरुआत राष्ट्र गान की शुरुआत से होती है और 52 सेकेंड में राष्ट्र गान के समाप्त होने के साथ ही पूरी हो जाती है।
* प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर राज्यों की भव्य झांकियां निकलती हैं, जिनका टीवी पर लाइव प्रसारण किया जाता है। इस दिन लोगों में परेड और झांकियां देखने का तथा सैन्यकर्मियों द्वारा दिखाए जाने वाले करतबों को देखने का एक विशेष उत्साह परिलक्षित होता है।
* गणतंत्र दिवस के अवसर पर सैनिकों को वीरता पुरस्कार और बहादुर बच्चों को भी पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
- सरिता सुराणा, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका की कलम से...
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