विश्व भाषा अकादमी की गुरुग्राम इकाई द्वारा वसंतोत्सव का आयोजन सम्पन्न
विश्व भाषा अकादमी भारत की गुरुग्राम इकाई का 'वसंतोत्सव' सम्पन्न .''https://hindi.sakshi.com/news/national/world-language-academy-india-gurugram-unit-organized-vasantotsav-105892
विश्व भाषा अकादमी भारत की गुरुग्राम इकाई द्वारा वसंतोत्सव का आयोजन सम्पन्न

विश्व भाषा अकादमी गुरुग्राम इकाई की ओर से 'वसंतोत्सव'
साहित्यकारों की काव्यपाठ और लघुकथाओं की शानदार अभिव्यक्ति
गुरुग्राम (हरियाणा) : विश्व भाषा अकादमी (रजि.) गुरुग्राम इकाई की ओर से जूम ऐप पर 'वसंतोत्सव' कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रप्रेम और वसंत पर आधारित काव्यपाठ और लघुकथाओं की शानदार अभिव्यक्ति साहित्यकारों ने दी।
गोष्ठी में अनेक जाने-माने कवि, लेखक और साहित्यानुरागी जुटे जिनमें प्रमुख रहे- सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार और पूर्व आकाशवाणी निदेशक लक्ष्मीशंकर बाजपेयी, ममता किरण, मदन साहनी, आभा कुलश्रेष्ठ, डॉ. लता अग्रवाल, विभा रश्मि, उधमपुर से डॉ आदर्श प्रकाश, आगरा से सविता मिश्रा ने भाग लिया।
साथ ही हैदराबाद से सरिता सुराणा, नोयडा से शोभना श्याम, चंडीगढ़ से शारदा मित्तल, गुरुग्राम से हरियाणा गौरव सुनील शर्मा, सविता स्याल, शकुन मित्तल, राजेन्द्र निगम “राज” इन्दु ”राज” निगम, मीना चौधरी विश्व भाषा अकादमी, भारत के अध्यक्ष मुकेश शर्मा, गुरुग्राम इकाई की अध्यक्ष डॉ. वीना और महासचिव मुक्ता मिश्रा और अन्य ने भाग लिया। इस अवसर पर देश भर से जुटे नये- पुराने प्रख्यात प्रतिभागी रचनाकारों ने वासंती सरसतापूर्ण गीत, कविता, ग़ज़ल और लघुकथाओं का पाठ भी किया।
कार्यक्रम का श्रीगणेश सुप्रसिद्ध कवयित्री इंदु निगम की मनमोहक सरस्वती वंदना से हुआ। इस विशुद्ध साहित्यिक कार्यक्रम का संचालन लेखिका एवं शिक्षिका डॉ वीना, गुरुग्राम इकाई अध्यक्ष ने किया।
इस अवसर पर कविताओं की एक वानगी:
1. ममता किरण-
फूलों पे यौवन है
भौरों का गुंजन है
मौसम के द्वार पे
दस्तक ये किसकी है...
2. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी-
ए वतन के शहीदों नमन
सर झुकाता है तुमको चमन...
3. राजेंद्र निगम 'राज'-
आज के शुभ दिन एक दिया हम और जलाएंगे
भारत माता के गौरव की गाथा गाएंगे...
4. सरिता सुराणा-
सखी बसन्त आया
फूली सरसों खेत मुस्काया
मेरे द्वारे फागुन आया।
धरणी ने ओढ़ी धानी चुनरिया
आम्र पल्लव बौराया।
सखी बसन्त आया।।
5. डॉ. वीना-
कभी हँसाता कभी रुलाता विधना तेरे खेल निराले
कभी फूल बिछाता राह दिखाता कभी चलते-चलते पड़ गये छाले।
6. सविता स्याल-
"बसन्त"
रूप निराला देख बसन्त
का, नाच उठा पागल मन मोर
प्रकृति ने ओढ़ी हरी चुनरिया
सरसो पीली के पहने गहने
ओस की बूँदो से सजाई माला
सुरमय झरनों के बाँधे घुंघरू।
7. शोभना श्याम-
झुके झके से मेघ हैं, शरमाई सी धूप।
बासंती इस साँझ का, खिला खिला सा रूप।।
हवा बसन्ती बो गयी, आशाओं के फूल।
सपनों की फिर पेंग ले,
मनवा रे तू झूल।
8. मुक्ता मिश्रा-
रंग लेके सूरज का
मैं भी खिलाऊंगा
बन जाऊंगा मैं भी
फूल अमलतास का
अतिरेकों का घर्षण
तोड़े हैं आवर्तन
कर विनाश हर युग का
फिर से जन्म लेता हूं
रंग लेके सूरज का|
9. फूलों को मुस्काने दो कलियों को खिल जाने दो
इस वासंती मौसम को गीत ख़ुशी के गाने दो
- इंदु “राज”निगम
10. वीरों की शहादत पर आंसू ना बहाना तुम
पावन पवित्र मिट्टी को मस्तक से लगाना तुम।
- सुनील शर्मा
11. आभा कुलश्रेष्ठ-
कुछ कहना है
द्वार आये देखो ऋतुराज
मां वसुंधरा को पहनाने ताज
झुकी अभिवादन में
फूलों की डालियां
अभिनंदन करतीं गेहूं की बालियां
तब क्यों मन मुरझाया है
क्या किसी कली ने रोकर
दुखड़ा सुनाया है।
12. शारदा मित्तल-
ऋतुराज ने खूब किया, कुदरत का सिंगार।
प्रभु तेरी यह देन है, मानव को उपहार।
परंपराओं से बंधे, अपने सब त्यौहार।
एक विरासत ने हमें, सौंपे ये आधार।
13. मीना चौधरी-
तन मन हर्षित अकुलाया,
मंजुल धरा ओढ़ी धानी चुनर,
कोयल मद कुहू कुहू बौराया।
- सरिता सुराणा
प्रदेशाध्यक्ष
तेलंगाना इकाई
06.02.2021
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