कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी सम्पन्न
कादम्बिनी क्लब की 337वीं मासिक गोष्ठी सम्पन्न, रहा यह सब्जेक्ट.''https://hindi.sakshi.com/news/telangana/337th-monthly-seminar-kadambini-club-concluded-89617
कादम्बिनी क्लब की 337वीं मासिक गोष्ठी सम्पन्न, यह रहा सब्जेक्ट

कादंबिनी क्लब की मासिक गोष्ठी
समसामयिक विषयों पर काव्य पाठ
हैदराबाद : कादंबिनी क्लब हैदराबाद के तत्वाधान में अवधेश कुमार सिन्हा (नई दिल्ली) की अध्यक्षता में तथा प्रवीण प्रणव के संचालन में ऑनलाइन के माध्यम से क्लब की 337वीं मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मित्र क्लब अध्यक्ष एवं मीना मुथा कार्यकारी संयोजिका ने बताया कि इस अवसर पर डॉ ऋषभदेव शर्मा मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे। शुभ्रा महंतो द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
डॉ अहिल्या मिश्र ने शब्द कुसुम से सभी का स्वागत करते हुए कहा कि कोरोना के कहर को तोड़ते हुए राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त भी लोगों ने उत्साह से मनाया और आगे गणेशोत्सव भी उतने ही जज्बे से मनाएंगे। कोरोना के भय से कलमकार घबराएगा नहीं डगमगाएगा नहीं। एक नई किरण के साथ नई भोर फिर होगी। आज दिल्ली, मुंबई, जबलपुर से भी सदस्य जुड़े हैं। साथ ही स्थानीय रचनाकारों का हृदय से स्वागत करती हूं।
तत्पश्चात प्रवीण प्रणव के संचालन में राष्ट्रीय स्वर को मुखरित करते हुए व अन्य समसामयिक विषयों पर विभिन्न रचनाकारों ने काव्य पाठ किया। ज्योति नारायण ने “ए वतन के चाहने वालों अब तुम इसे बाजू में थाम लो”, भावना पुरोहित ने “आजादी के पूर्व भारतीय लोग लगाते थे नारा भारत छोड़ो भारत छोड़ो”, दर्शन सिंह ने “धरती ने पाया आजाद, राजगुरु सुखदेव का सम्मान”, दीपक दीक्षित ने व्यंग्य कविता “एक बार सुनसान जगह पर दो कोरोना वायरस चल रहे थे”, सुहास भटनागर ने “सुबह का सूरज ढल रहा शाम के..” सरिता सुराणा ने “स्वतंत्रता दिवस की भोर है वादों और घोषणाओं का दौर है..” प्रदीप भट्ट ने “माना कुछ बाकी है अब भी किंतु देश हमारा है..” रमाकांत ने “खुद को शहंशाह समझता था कानून को जेब में रखता था..” शिल्पी भटनागर ने “ब्रह्मांड सज गया धरती का प्रधान तारा वहां कुछ कर गया..” मोहित ने “कुछ बजाते हैं घंटे कुछ तीरथ को जाते..” की प्रस्तुति दी।
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तत्पश्चात चंद्रप्रकाश दायमा ने “यह तिरंगा किसी शहीद की छाती में गड़ा होगा और उसका सर भी यहीं कहीं कटा हुआ पड़ा होगा..” संदीप श्रीवास्तव (जबलपुर) ने “जिसने खोया है अपना लाल क्या मिटा पाओगे उसका मलाल..” आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ ने “फिर सुबह होगी जब फटेगा तिमिर..” संतोष कुमार राजा ने “एक ग़ज़ल वीर बंधुओं पर लिख दे ऐ कलम तेरा एहसान होगा..” सुनीता लुल्ला ने “वो तूफ़ानों में भी उड़ कर ठिकाना ढूंढ लेती है, अब मुखर संवाद होना चाहिए..” सत्यनारायण काकड़ा ने “प्राण गवाएं इंदिरा गांधी..” पुरुषोत्तम कड़ेल ने “ए वतन तेरी कसम हो जाएंगे कुर्बान हम..”रचनाएं पढ़ी।
संपत देवी मुरारका ने “दक्षिणेश्वर में महाकाली के मंदिर दर्शन..” डॉक्टर गीता जांगिड़ ने “हम ढूंढते रहे उम्र भर जिसे ख्यालों में..” आशीष नैथानी (मुंबई) ने “जिंदगी के सपने पढ़ते हुए तुझको समझा हूं उम्र को ढलते हुए..” शुभ्रा महंतों ने “आजा कि सब मिलकर रब से दुआ मांगे..” मीना मुथा ने “उठाने अमन शांति, लहराया तिरंगा, हे मां भारती..” प्रवीण प्रणव ने “देश की शान है प्यारा तिरंगा मेरी तो पहचान है प्यारा तिरंगा..” डॉ अहिल्या मिश्र ने “मेरा देश महान कहां है, टुकड़ों में बँटा हिंदुस्तान कहां है..” की प्रस्तुति दी।
डॉ ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि आज भी क्लब की गोष्ठी में 25 से अधिक सदस्यों की उपस्थिति है जो निश्चित ही साहित्य के प्रति रुझान दर्शाती है।दाहिमा एवं आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ की रचनाएं दिल को छू गईं। उन्होंने “मैंने अपनी तृप्ति बेच दी भारी बूंदों के बदले, तू भी अपनी प्यास बेच दे मेरे गीतों के बदले..” रचना सुनाई जिसे तालियों की गूंज से सभी ने सराहा। अध्यक्षता कर रहे अवधेश कुमार सिन्हा जो नई दिल्ली से शामिल हुए थे ने कहा कि आज जबलपुर से भी संदीप जुड़े हैं यह खुशी की बात है।
गोष्ठी में कविता के माध्यम से कई विषयों पर चर्चा हुई है। 74वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के संग्राम के बाद उम्मीद की किरण जगी है। “आजादी में मौका नहीं मिला तिरंगा उठाने का अब तो फर्ज पूरा कर तिरंगे में लिपटकर आने का..” पंक्तियों के साथ उन्होंने गोष्ठी में उपस्थित सभी रचनाकारों को बधाई दी। रेनू अग्रवाल ने भी काव्य पाठ किया। प्रवीण प्रणव ने संचालन करते हुए सभी के सहयोग के प्रति आभार जताया।
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