भारतीय महाक्रांति सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश ध संकुड़े द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्रीमती सरिता सुराणा को संगठन की तेलंगाना प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्त किया जाता है। उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए अध्यक्ष महोदय ने कहा कि श्रीमती सरिता सुराणा को उनके उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों के लिए इस पद पर नियुक्त किया जा रहा है।
हम आशा करते हैं कि वे सामाजिक कार्यों के लिए इस पद का उपयोग करेंगी और संगठन में एक महत्वपूर्ण योगदान देंगी। संगठन के किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय में हमारे साथ विचारों का आदान-प्रदान करके सभी काम कानूनी तरीके से करेंगी। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र मुनोत ने उन्हें आगामी सामाजिक कार्यों के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।
*विश्व भाषा अकादमी तेलंगाना इकाई द्वारा परिचर्चा गोष्ठी सम्पन्न* https://yuvapravartak.com/63683/ https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=563600162068636&id=108584627570194 विश्व भाषा अकादमी तेलंगाना इकाई द्वारा परिचर्चा गोष्ठी सम्पन्न हैदराबाद। विश्व भाषा अकादमी, भारत की तेलंगाना इकाई द्वारा परिचर्चा एवं काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। अध्यक्ष सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। आर्या झा की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तत्पश्चात् परिचर्चा के लिए प्रदत्त विषय- क्या युद्ध से किसी भी समस्या का समाधान सम्भव है? इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता श्रीमती सुनीता लुल्ला ने कहा कि युद्ध से समस्या का समाधान सम्भव नहीं है लेकिन जब संवाद की स्थिति समाप्त हो जाए तो युद्ध जरूरी हो जाता है। वर्तमान समय में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध पर बातचीत करने से पहले हमें थोड़ा पीछे जाकर इतिहास में झांकना पड़ेगा। उन्होंने महाभारत और राम-रावण के युद्ध से लेकर अमेरिका-वियतनाम युद्ध, अमेरिका-इराक युद्ध आदि के अनेक उदा...
नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है। विधायक के घर और रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया गया है। समझ में नहीं आता कि देश को खतरा इन उग्रवादी संगठनों से है या किसी और से? अगर इन्हें अपना देश, अपना प्रदेश प्रिय होता तो ये कभी भी निजी या सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाते। ये शायद भूल रहे हैं कि इन्होंने तो अपने ही देशवासियों को अपने राज्य से इस तरह खदेड़ दिया था, जैसे वे विदेशी हों। बरसों से रह रहे भारतवासियों को अपना सब कुछ छोड़कर रातों-रात वहां से अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था। अपने ही देश में वे निर्वासित कर दिए गए थे। तब न तो तत्कालीन सरकार और न ही कोई मानवाधिकारवादी संगठन इनको रोकने आगे आए थे और न ही आज़ आ रहे हैं। उल्टा आज़ वे ही अलगाववादी दल विपक्ष में बैठकर उन्हें हिंसा और उग्रवाद के लिए भड़का रहे हैं। जिनको अपनी संस्कृति इतनी प्यारी है, वे दूसरे की संस्कृति का सम्मान क्यों नहीं करते? क्या पूर्वोत्तर के राज्यों के निवासी देश में किसी अन्य राज्य में नहीं रहते? नागरिकता संशोधन बिल तो आज़ आया है लेकिन इन्होंने तो पूर्ववर्ती...
छंदबद्ध रचना में मात्राभार की गणना ***************************** छंदबद्ध रचना के लिये मात्राभार की गणना का ज्ञान आवश्यक है। मात्राभार दो प्रकार का होता है– वर्णिक भार और वाचिक भार। वर्णिक भार में प्रत्येक वर्ण का भार अलग-अलग यथावत लिया जाता है जैसे– विकल का वर्णिक भार = 111 या ललल जबकि वाचिक भार में उच्चारण के अनुरूप वर्णों को मिलाकर भार की गणना की जाती है जैसे विकल का उच्चारण वि कल है, विक ल नहीं, इसलिए विकल का वाचिक भार है – 12 या लगा। वर्णिक भार की गणना करने के लिए कुछ निश्चित नियम हैं। वर्णिक भार की गणना (1) ह्रस्व स्वरों की मात्रा 1 होती है जिसे लघु कहते हैं, जैसे - अ, इ, उ, ऋ की मात्रा 1 है। लघु को 1 या । या ल से व्यक्त किया जाता है। (2) दीर्घ स्वरों की मात्रा 2 होती है जिसे गुरु कहते हैं, जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ की मात्रा 2 है। गुरु को 2 या S या गा से व्यक्त किया जाता है। (3) व्यंजनों की मात्रा 1 होती है , जैसे -क,ख,ग,घ / च,छ,ज,झ / ट,ठ,ड,ढ,ण / त,थ,द,ध,न / प,फ,ब,भ,म /य,र,ल,व,श,ष,स,ह। वास्तव में व्यंजन का उच्चारण स्वर के साथ ही संभव है, इसलिए उसी रूप में यहाँ लिखा गया है। अन...
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