'मां की ममता' कहानी-संग्रह की समीक्षा प्रकाशित

समाज के ज्वलंत मुद्दों से मुठभेड़ करती कहानियाँ April 19, 2020 • दीपक गिरकर • समीक्षा/पुस्तक चर्चा समीक्षक*दीपक गिरकर “ माँ की ममता ” सरिता सुराणा का पहला कहानी संग्रह है। सरिता जी कहानियों के साथ व्यंग्य, निबन्ध, लघुकथा, कविता, संस्मरण, पत्र-लेखन, समीक्षा इत्यादि सभी विधाओं में लिख रही हैं। इनकी रचनाएं निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। सरिता जी की कहानियों की विषयवस्तु समसायिक है। इस कहानी संग्रह की भूमिका बहुत ही सारगर्भित रूप से हैदराबाद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने लिखी है। डॉ. शर्मा ने भूमिका में लिखा है " अपने इस पहले कहानी संग्रह के माध्यम से सरिता सुराणा यथार्थ की पीठ पर आदर्श का रचनाधर्मी सन्देश लेकर साहित्य जगत के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं। उनके इस सन्देश में मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था, एक दूसरे के प्रति सहानुभूति, दूसरे के दर्द को समझने की योग्यता, भलमनसाहत की विजयकामना तथा स्वतंत्रता, समता और बन्धुत्व के साथ सामाजिक न्याय जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों का सन्देश सम्मिलित है। ” इस कहानी संग्रह म...