राजस्थान की शान 'एडवेंचर मैन' मगन बिस्सा का निधन
राजस्थान की शान ‘एडवेंचर मैन’ मगन बिस्सा का निधन
हैदराबाद : अपनी हिम्मत और चट्टानी इरादों से सभी को आश्चर्यचकित करने वाले 'एडवेंचर मैन' पर्वतारोही मगन बिस्सा जी का शुक्रवार को पुणे में एक हादसे में निधन हो गया। अपने जीवन में शुरू से ही 'एडवेंचर मैन' के नाम से जाने जाने वाले मगन बिस्सा सबके प्रिय थे।
लाखों लोगों को एडवेंचर से जुड़ी गतिविधियों की ट्रेनिंग देने वाले राजस्थान के बिस्सा पुणे में एक एडवेंचर इवेंट में जब बच्चों को मंकी क्राॅलिंग का डेमो दे रहे थे तो उसी दौरान उनकी रस्सी टूट गई और वे नीचे गिर गए। इस हादसे के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया।
एनएएफ राजस्थान और गुजरात के डायरेक्टर
पर्वतारोहण और एडवेेंचर को जीवन का हिस्सा बना चुके मगन बिस्सा नेशनल एडवेंचर फाउंडेशन (एनएएफ) के राजस्थान और गुजरात के डायरेक्टर रह चुके थे।. वे भारतीय पर्वतारोहण संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे। उन्होंने शादी के कुछ माह बाद ही पत्नी डॉ. सुषमा बिस्सा को भी इस एडवेंचर का हिस्सा बना लिया। विश्व के प्रथम पर्वतारोही तेन्जिंग नोरगे से प्रभावित होकर वे पर्वतारोही बने। उन्होंने एवरेस्ट शिखर से 300 मीटर नीचे एक साथी की जान बचाने के लिए खुद का ऑक्सीजन सिलेंडर उसे दे दिया, जिसके कारण उसकी जान बच गई थी।

हादसा
1985 में भारतीय सैन्य एवरेस्ट अभियान दल में शामिल होकर एवरेस्ट के सबसे मुश्किल रास्ते दक्षिण-पश्चिम से ऊपर चढ़ चुके बिस्सा का उस समय संतुलन बिगड़ गया था, जिससे वे 700 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिर गए थे, जिससे उनका पैर टूट गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 2009 में पत्नी डॉ. सुषमा के साथ नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी का हिस्सा बने। पांच दिन के रेस्ट के लिए नीचे आते समय हिमस्खलन की चपेट में आने से उनकी आंतों में गेंगरीन हो गया। नाजुक हालत में उन्हें रेस्क्यू कर काठमांडू लाया गया, वहां उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड वाइलरी साइंस अस्पताल में एक साल तक भर्ती रखा गया। उनकी जान बचाने के लिए छोटी आंत तक काटनी पड़ी थी।
अवाॅर्ड
मगन बिस्सा ने कई बड़े अवाॅर्ड अपने नाम किए थे, वे राजस्थान के महाराणा प्रताप खेल अवाॅर्ड, नेशनल एडवेंचर क्लब के भारत गौरव मेडल, भारतीय पर्वतारोहण संघ के गोल्ड मेडल, सेना मेडल वीरता पुरस्कार और पंडित किशनसिंह नैन अवार्ड से सम्मानित हो चुके थे। उन्होंने 1978 में एम. कॉम करने के बाद हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान दार्जिलिंग से तेन्जिंग नोरगे की ही देखरेख में पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स किया था। वे 1984 में पहली बार उस राष्ट्रीय एवरेस्ट अभियान के सदस्य बने, जिसमें बछेंद्री पाल शामिल थीं।

ढाई लाख से ज्यादा लोगों को पैरा सेलिंग, दो लाख से अधिक व्यक्तियों को एडवेंचर एक्टिविटी सिखा चुके बिस्सा ने असाधारण हौसला दिखाते हुए दर्द के आगे कभी हार नहीं मानी और सदैव आगे बढ़ते रहे। उनके असामयिक निधन से न केवल बीकानेर शहर में अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष के एडवेंचर प्रेमियों में शोक की लहर छा गई है। आज़ उनका शव बीकानेर उनके पैतृक गृह लाया जाएगा।
- सरिता सुराणा, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका की कलम से...
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