कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न
कादम्बिनी क्लब की 329वीं मासिक गोष्ठी और ‘तेरा मेरा साथ रहे’ पुस्तक का लोकार्पण सम्पन्न
हैदराबाद : कादंबिनी क्लब हैदराबाद के तत्वधान में क्लब की 329वीं मासिक गोष्ठी मदन देवी कीमती सभागार रामकोट में आयोजित की गई। प्रेस विज्ञप्ति में डॉक्टर अहिल्या मिश्र क्लब अध्यक्षा एवं मीना मूथा कार्यकारी संयोजिका ने आगे बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ अहिल्या मिश्र ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा, मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर गोपाल शर्मा, सम्माननीय अतिथि अनिल कुमार सिंह, लेखक डॉक्टर रामनिवास साहू एवं संगोष्ठी संयोजक प्रवीण प्रणव मंचासीन हुए। सत्र का आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
मंचासीन अतिथियों ने मां शारदे के चित्र पर माल्यार्पण की। डॉ रमा द्विवेदी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात अतिथियों का शॉल माला से सम्मान किया गया। इसमें अवधेश कुमार सिन्हा, देवीदास घोडके, नीरज कुमार, डॉ गीता जांगिड़, डॉक्टर सुनीला सूद, डॉ रमा द्विवेदी ने सहयोग दिया। डॉ अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि कादंबिनी क्लब 26वें वर्ष की यात्रा कर रहा है और इस पड़ाव तक आने में त्रयनगर एवं स्थानीय रचनाकारों की उपस्थिति ने संस्था के मनोबल को सदा बढ़ाया है। डॉ साहू मैसूर से यहां पधारे हैं और क्लब के बैनर तले इनकी उपन्यास कृति ‘तेरा मेरा साथ रहे’पुस्तक का लोकार्पण होने जा रहा है। यह संस्था के लिए भी प्रेरणास्पद बात है।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए प्रवीण प्रणव ने कहा कि प्रथम सत्र में हमारे वरिष्ठ साहित्यकारों के जन्म जयंती पर उन्हें और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद करते हैं। प्रयास करते हैं कि आज की पीढ़ी उन्हें अधिक से अधिक पढ़ें और लेखन की प्रेरणा लें। धर्मवीर भारती पत्रिका ‘धर्मयुग’ के संपादक पर प्रपत्र पढ़ते प्रवीण ने कहा कि भारती जी का जन्म 25 दिसंबर 1926 को इलाहाबाद में हुआ। पढ़ने का शौक बहुत था, परंतु आर्थिक स्थिति ठीक न होने से वह लाइब्रेरी के चारों तरफ चक्कर काटते रह जाते थे। ऐसा देख लाइब्रेरियन उन्हें अपने नाम पर 5 दिन के लिए पुस्तक पढ़ने हेतु देते थे।
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पत्रकारिता से जुड़ाव हो गया और धर्मयुग तथा धर्मवीर भारती एक दूसरे के पर्याय बन गए थे। ऑस्कर वाइल्ड का गहरा प्रभाव उन पर था। धर्म युग को उन्होंने विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका बनाया। साल 1986 में वे धर्म युग से सेवानिवृत्त हुए। पत्रकारिता की वजह से बहुत सारे देशों की यात्रा की। उपन्यास कृति ‘11 सपनों का देश’ में प्रथम 2 अध्याय भारती जी ने लिखे थे। बाद में पत्नी पुष्पा भारती ने उनके पत्रों को संकलित किया। साहित्यिक सम्मान ग्रहिता धर्मवीर भारती ने पुष्पा भारती की गोद में 4 दिसंबर 1989 को चिर निद्रा ली।
सहसंयोजक आशा मिश्रा ने ‘अंधा युग’ नाटक का सशक्त वाचन किया। गांधारी, अश्वत्थामा एवं श्रीकृष्ण के पात्रों को धर्मवीर भारती ने जितना जीवन्त शैली में चित्रित किया उसी तरह आशा ने उसका पठन किया एवं श्रोताओं को भारती जी से परिचित कराने में सहयोग दिया।
डॉ रामनिवास साहू के उपन्यास तेरा मेरा साथ रहे के संदर्भ में पुस्तक परिचय देते हुए प्रोफेसर गोपाल शर्मा ने कहा कि लेखक ने भारतीय पृष्ठभूमि को जोड़ते हुए कहानी में एक नए लड़के और लड़की के किरदार को आगे बढ़ाया है। उपन्यास की कथानक बताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों का विवाह हो जाता है। लड़की सुनहरे भविष्य के सपने बुनती है। पता चलता है कि उसका पति शारीरिक नपुंसकता से ग्रस्त ह। मानसिक तनाव आत्महत्या की ओर प्रेरित करता है। प्रारम्भ में उपन्यास में गति है। कहानी हैपनिंग ट्रुथ से स्टोरी ट्रुथ में बदलती है जिससे रोचकता बढ़ती है। भारतीय मूल्यों को लेखक लेकर चलता है। कथानक में बुद्धि और मेमोरी होनी चाहिए। उपन्यास की बुनावट बताती है कि उपन्यासकार सरल भाषा में बात रखना पसंद करता है। उन्होंने डॉ साहू को कृति के लिए साधुवाद दी।
तत्पश्चात करतल ध्वनि के साथ ‘तेरा मेरा साथ रहे’ उपन्यास का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से संपन्न हुआ। प्रोफेसर ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि रचनाकार की रचना यात्रा को यदि देखे तो हम पाते हैं कि वे यदि स्वयं देखे भोगे को लिखते हैं तभी पाठक के मर्म को छूते हैं। यहाँ पर भी ऐसा ही हुआ है। परंतु जो जैसा है वैसा ही लिखना पर्याप्त नहीं होता। यथार्थ का विशद वर्णन नहीं किया जाता है तो उपन्यास सशक्त नहीं बन पाता। लेखक का पात्र के साथ एकरूप हो जाना आवश्यक है। जहाँ हृदय छू लेने वाले प्रसंग की सम्भावना हो वहां खुलकर विस्तार का लाभ लेना चाहिए। सूचनाएं उपन्यास में अत्यधिक हैं उससे बचें। उन्होंने भी डॉ साहू को इस कृति के लिए बधाई दी।
अनिल कुमार सिंह व डॉ रमेश ने भी रचनाकार को बधाई दी एवं लेखन प्रक्रिया में निरंतर आगे बढ़ने हेतु शुभकामना दी। डॉ साहू ने कहा कि मंच पर प्रो ऋषभ देव शर्मा, प्रो गोपाल शर्मा व डॉ अहिल्या मिश्र ऐसे त्रिमूर्ति हैं जो पत्थर को भी हीरा बना दे। उन्होंने उनके मार्ग दर्शन के लिए आभार जताया और आशा जताई कि उनका सहयोग सदैव उनके साथ रहेगा।
‘पुष्पक सहित्यिकी-8, वर्ष-2’ का लोकार्पण प्रसिद्ध चित्रकार कवि नरेंद्र राय नरेन के कर कमलों से हुआ । सम्पादकीय मंडल अवधेश कुमार सिन्हा, प्रवीण प्रणव और डॉ आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ मंच पर उपस्थित थे। प्रो अवधेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई। इसमें भावना मयूर पुरोहित, डॉ गीता जांगीड़, ज्योति नारायण, कुंज बिहारी गुप्ता, सीताराम माने, सुनिता लुल्ला, नरेंद्र राय, गजानन पांडे, प्रदीप भट्ट, सरिता सुराना, सुहास भटनागर, उमा सूरज प्रसाद सोनी, एल रंजना, अवधेश कुमार सिन्हा, श्री मन्नारायणचारी विराट, सत्यनारायण काकडा, देवीदास धोड़के, प्रवीण प्रणव, डॉ आशा मिश्रा ‘मुक्ता’, मीना मूथा, चंद्र्प्रकाश दायमा, डॉ साहू, प्रो गोपाल शर्मा, डॉ अहिल्या मिश्र ने रचनायें पढ़ीं। प्रो ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। भंवरलाल उपाध्याय ने कवि गोष्ठी सत्र का संचालन किया। धनिश राय, भूपेन्द्र मिश्र, डॉ शकुंतला, अनीता गांगुली, सदानंद लाल पाठक, प्रकाश गुप्ता, चन्द्रलेखा कोठारी, सुखमोहन अग्रवाल की उपस्थिति रही। डॉ दामोदर वानोडे का इस अवसर पर क्लब को ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मीना मूथा ने किया। स्व डॉ देवेंद्र शर्मा को क्लब की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- सरिता सुराणा
18-12-19
18-12-19
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