पूर्वोत्तर भारत में नागरिकता संशोधन बिल का विरोध क्यों?

नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है। विधायक के घर और रेलवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया गया है। समझ में नहीं आता कि देश को खतरा इन उग्रवादी संगठनों से है या किसी और से? अगर इन्हें अपना देश, अपना प्रदेश प्रिय होता तो ये कभी भी निजी या सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाते। ये शायद भूल रहे हैं कि इन्होंने तो अपने ही देशवासियों को अपने राज्य से इस तरह खदेड़ दिया था, जैसे वे विदेशी हों। बरसों से रह रहे भारतवासियों को अपना सब कुछ छोड़कर रातों-रात वहां से अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था। अपने ही देश में वे निर्वासित कर दिए गए थे। तब न तो तत्कालीन सरकार और न ही कोई मानवाधिकारवादी संगठन इनको रोकने आगे आए थे और न ही आज़ आ रहे हैं। उल्टा आज़  वे ही अलगाववादी दल विपक्ष में बैठकर उन्हें हिंसा और उग्रवाद के लिए भड़का रहे हैं। जिनको अपनी संस्कृति इतनी प्यारी है, वे दूसरे की संस्कृति का सम्मान क्यों नहीं करते? क्या पूर्वोत्तर के राज्यों के निवासी देश में किसी अन्य राज्य में नहीं रहते? नागरिकता संशोधन बिल तो आज़ आया है लेकिन इन्होंने तो पूर्ववर्ती सरकारों की शह पर सदैव ही दूसरे राज्यों के निवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया है और हिंसा, तोड़फोड़ एवं आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया है। अब समय आ गया है इन पर लगाम लगाने का और इन्हें यह अहसास दिलाने का कि भारत का नागरिक होने के नाते कोई भी व्यक्ति पूरे देश में कहीं भी रह सकता है, यह उसका संवैधानिक अधिकार है।
- सरिता सुराणा
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखिका
12.12.19

Comments

Popular posts from this blog

विश्व भाषा अकादमी की परिचर्चा गोष्ठी सम्पन्न

छंदबद्ध रचनाओं में मात्राभार की गणना